
भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, प्रत्येक नागरिक को मतदाता पहचान पत्र का बहुत महत्व है। यही दस्तावेज नागरिकता की सबसे बड़ी पहचान है और व्यक्ति को मतदान का अधिकार देता है। लेकिन बिहार की नवीनतम खबर ने पूरे देश को चौंका दिया है। वास्तव में, भागलपुर जिले में एक पाकिस्तानी पुरुष और दो महिलाओं का नाम मतदाता सूची और आधार कार्ड में था। विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में यह मामला सामने आया।
घटना का विस्तृत विवरण गृह मंत्रालय की एक जांच से पता चला कि भागलपुर के इशाकचक थाना क्षेत्र में टैंक लेन में भीखनपुर गुमटी नंबर 3 में दो पाकिस्तानी महिलाएँ रह रही हैं।
1. फिरदौसिया खानम: मो. तफजील अहमद का पति
2. इमराना खानम, पिता इबतुल हसन
इन दोनों महिलाओं के नाम मतदाता पहचान पत्र (EPIC) और मतदाता सूची (Voter List) में नामांकित किए गए। रिपोर्ट ने बताया कि 24 मई 2002 को भारत आए एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद असलम ने भी अपना आधार कार्ड बनवा लिया था।
कब और कैसे आए भारत?
फिरदौसिया खानम: 19 जनवरी 1956 को रंगपुर की निवासी 3 महीने के वीज़ा पर भारत आईं। इमराना खानम: वे सिर्फ 1956 में तीन वर्ष के वीजा पर भारत आई थीं। मोहम्मद असलम: 2002 में दो वर्ष के वीज़ा पर भारत आए। इन तीनों ने स्पष्ट रूप से वीज़ा अवधि पूरी होने के बाद भी भारत में रहना जारी रखा और धीरे-धीरे पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बनाने लगे।
जांच और प्रशासनिक कार्रवाई
Special Branch की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय पहुँचते ही पूरे महकमे में सनसनी फैल गई। स्पेशल ब्रांच के एसपी ने एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भागलपुर डीएम और एसएसपी से जांच और कार्रवाई की मांग की। पाकिस्तानी महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने पुष्टि की। गृह मंत्रालय ने राज्य प्रशासन से इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
SIR (Special Intensive Revision) क्या है?
SIR एक अलग प्रक्रिया है जिसे चुनाव आयोग बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शुरू कर रहा है। लक्ष्य: मतदाता सूची को साफ करना, मृत या नकली नामों को निकालना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना।
विधि: जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाती है, आम जनता को अपनी आपत्ति या दावा व्यक्त करने का अवसर मिलता है। 2025 में बिहार में परिणाम:
लगभग 65.6 लाख नाम हटाए गए, कुल मतदाता सूची 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई। प्रक्रिया के दौरान बड़ा खुलासा हुआ कि लिस्ट में दो पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल थे।
बड़ा सवाल – इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
1. वोटर आईडी और आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में दस्तावेज़ सत्यापन नहीं हुआ।
2. वीजा की अनदेखी: वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी संबंधित विभाग ने उनकी निगरानी नहीं की।
3. स्थानीय स्तर पर बूथ स्तर के अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन ने पहचान की पुष्टि करने में भारी चूक की।
इसके पीछे की संभावनाएँ
मानव त्रुटि (मानव त्रुटि): दस्तावेज़ परीक्षण में गलती हो सकती है। नकली दस्तावेज: इन लोगों ने शायद भारतीय नागरिकों की तरह दिखने वाले दस्तावेज़ भेजे हों। स्थानीय सहायता: “अंदरूनी सहयोग” के बिना इतनी बड़ी दुर्घटना संभव नहीं लगती।
लोकतंत्र और सुरक्षा पर असर
1. राष्ट्रीय सुरक्षा: अगर विदेशी नागरिक आईडी या आधार कार्ड बना लेते हैं, तो वे आसानी से भारतीय नागरिकता का दावा कर सकते हैं और सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं।
2। लोकतांत्रिक चुनाव में विदेशी नागरिकों का नाम शामिल होना लोकतंत्र की शुद्धता पर सवाल खड़ा करता है।
3. प्रशासन की साख पर चोट इससे चुनाव आयोग और प्रशासन पर जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
राजनीतिक बहस अभी नहीं हुई, लेकिन विपक्ष इसे आने वाले दिनों में प्रमुखता से उठाएगा। विरोधी पक्ष इसे “मतदाता सूची में गड़बड़ी और घोटाला” कह सकता है। सत्ताधारी पक्ष इसे “प्रशासनिक चूक” कहकर सुधार की मांग करेगा। जनता में अविश्वास बढ़ सकता है।
आगे क्या होगा?
1. नाम को हटाना पुरुष और दोनों महिलाओं का नाम मतदाता सूची और आधार से हटा दिया जाएगा।
2. अनुसंधान और मुकदमा: किसकी मदद से उनके दस्तावेज़ बनाए जाएंगे और उन पर कानूनी कार्रवाई होगी।
3. संचालन सुधार अब चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय पहचान सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक कठोर करेंगे।
4. नीति में परिवर्तन भविष्य में विदेशी नागरिकों पर निगरानी रखी जाएगी और उनकी सुरक्षा की जाएगी।
निष्कर्ष
बिहार के भागलपुर का मामला सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है; यह एक राष्ट्रव्यापी चेतावनी है। यदि विदेशी नागरिकों को इतनी आसानी से भारतीय मतदाता सूची में नामांकित किया जा सकता है,
तो लोकतंत्र की बुनियाद गिर सकती है। यहीं SIR जैसी प्रक्रिया की महत्ता सिद्ध होती है। यह घटना प्रशासन को कितनी सावधानी बरतनी चाहिए और मतदाता सूची की शुद्धता क्यों आवश्यक है।
(About Author)
Sunny Mahto एक उभरते हुए हिंदी ब्लॉगर हैं, जो अपनी वेबसाइट govyojna.de के माध्यम से लोगों को सरकारी योजनाओं (Sarkari Yojana), शिक्षा (Education), करंट अफेयर्स और राजनीति (Politics) से जुड़े मुद्दों को सरल और दिलचस्प तरीके से बताते हैं। इनका लक्ष्य आम लोगों को सरकारी योजनाओं और नीतियों की तत्काल और सटीक जानकारी देना है। Sunny भी सोशल मीडिया सक्रिय हैं—
- Instagram: @govyojna.de
- Facebook Page: Trading is Sunny
Sunny Mahto के ब्लॉग और सोशल मीडिया से भी जुड़ सकते हैं अगर आप भी सरकारी योजनाओं और शिक्षा से जुड़े हर महत्वपूर्ण अपडेट को सबसे पहले पाना चाहते हैं।