
बिहार की राजनीति हमेशा से अचानक घटनाओं और फैसलों से जानी जाती रही है। हाल ही में, तेजस्वी यादव ने मंच से नहीं बल्कि चलते-चलते रास्ते में अपने एक विधायक का टिकट काटने का संकेत दिया। यह घटना न केवल राजनीतिक जगत में चर्चा का विषय बन गई, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को भी हिला कर रख दी।
वोटर अधिकार यात्रा का उद्देश्य और शुरुआत
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मिलकर इस यात्रा की शुरुआत की थी। विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान लाखों मतदाताओं के नाम काटे जाने के बारे में लोगों को जागरूक करना इसका मुख्य उद्देश्य था। राहुल गांधी ने कहा कि यह “लोकतंत्र पर हमला” था।
तेजस्वी यादव ने कहा कि गरीबों, पिछड़ों और दलितों की आवाज दबा दी जाएगी अगर मतदाता सूची में उनके नाम नहीं होंगे। इसे महागठबंधन ने वोट चोरी को रोका नाम दिया।
यह यात्रा भी राजनीतिक महत्व रखती है क्योंकि 2025 विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गर्म हो रहा है और विपक्ष जनता को बताना चाहता है कि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए भी सड़क पर है।
नवादा में बड़ा ड्रामा – विधायक का टिकट काटने का इशारा
तेजस्वी यादव खुली गाड़ी में सवार होकर जनता का अभिवादन कर रहे थे जब यात्रा नवादा जिले से गुजर रही थी। तेजस्वी यादव के करीब आकर एक समर्थक ने कहा: “भईया, अगर इस सीट को जीतना है, तो प्रकाश वीर को हटाना होगा।” ”
तेजस्वी ने यह सुनते ही मुस्कुराकर हाथ हिलाकर कहा, “हट गया।” ” तेजस्वी को धन्यवाद देते हुए समर्थक खुशी से झूम उठा: वह अभी तक आपके नाम से जीत रहा था, भईया। ” इस संक्षिप्त चर्चा ने बताया कि राजद विधायक प्रकाश वीर का टिकट लगभग खत्म हो गया है।
प्रकाश वीर और राजद की दूरी
यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया था। विधायक प्रकाश वीर और विभा देवी ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में मंच पर दिखाई दिया था। राजद ने इसे “पार्टी विरोधी गतिविधि”
समझा और दोनों को बाहर निकाला। तेजस्वी का सार्वजनिक बयान इस बात को और भी पुष्ट करता है कि इन दोनों विधायकों को आगामी चुनाव में टिकट नहीं मिलेगा।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि तेजस्वी यादव अपनी पार्टी पर मजबूत नियंत्रण बनाने और बागियों को बाहर निकालने में अब पीछे नहीं हटेंगे।
समर्थकों के बीच संदेश
तेजस्वी यादव के व्यवहार ने उनके समर्थकों में एक विशिष्ट संदेश छोड़ दिया—
1. नेतृत्व कठोर अनुशासन है।
2. जनता का मत महत्वपूर्ण है।
3। टिकट बंटवारे के दौरान आम लोगों की नब्ज़ टटोली जाएगी। यही कारण है कि इस बार चुनाव में टिकट उन्हीं नेताओं को मिलेगा जिनकी जनता में स्पष्ट और मजबूत छवि होगी। —–
अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस – राहुल गांधी का तीखा हमला
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने यात्रा के दौरान अररिया में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यहां राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला। उनका कहना था कि चुनाव आयोग को सही वोटर लिस्ट देना
चाहिए, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में ऐसा नहीं हुआ। राहुल गांधी ने दावा किया कि 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए हैं, ताकि विपक्षी दलों को नुकसान पहुंचाया जा सके।
“यह लोकतंत्र की चोरी है और किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” उन्होंने कहा। ”
सीएम चेहरे का सवाल – राहुल गांधी का गोलमोल जवाब
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने पूछा कि महागठबंधन का प्रधानमंत्री चेहरा कौन होगा? क्या जनता के सामने सिर्फ तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित किया जाएगा? राहुल गांधी ने इस पर हंसते हुए कहा: हमारी दोस्ती बहुत अच्छी है।
हम राजनीतिक रूप से और वैचारिक रूप से एक हैं। हम एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, तनाव नहीं है। ” किंतु राहुल ने सीधे तौर पर तेजस्वी को प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया।
यही कारण है कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध रहे हैं, राजनीतिक गलियारों में बहस शुरू हो गई।
बीजेपी और एनडीए की प्रतिक्रिया
भाजपा नेताओं ने इस अवसर को बेकार कर दिया। महागठबंधन में घमासान हुआ है, मंत्री सुरेंद्र मेहता ने कहा। राहुल गांधी तेजस्वी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने से बच रहे हैं।
कांग्रेस के अंदर खुद को अधिक महत्वपूर्ण मानने के कारण राहुल गांधी कभी भी तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा नहीं बनने देंगे, पूर्व मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा। वहीं एनडीए के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि नीतीश कुमार ही उनका मुख्यमंत्री होगा।
यात्रा का राजनीतिक असर
1. जनता से सीधा संपर्क: यात्रा ने तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को सीधे जनता से जोड़ा। इसका प्रभाव स्पष्ट है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
2. संगठन की एकता: यात्रा ने दिखाया कि राहुल और तेजस्वी की जोड़ी फिलहाल महागठबंधन में आंतरिक मतभेदों के बावजूद मजबूत है।
3. नियंत्रण और टिकट वितरण: राजद इस बार समझौता नहीं करेगी, जैसा कि तेजस्वी ने विधायक का टिकट काट दिया है।
4. मुख्यमंत्री चेहरे की अनिश्चितता: मुख्य प्रश्न यह है कि महागठबंधन आखिर किसे सीएम उम्मीदवार चुनेगा। तेजस्वी का दावा सबसे बलिष्ठ है, लेकिन राहुल गांधी की चुप्पी रहस्य पैदा करती है।
आगे की संभावनाएँ
अगर महागठबंधन समय रहते सीएम से मुखातिब नहीं होता, तो एनडीए इससे सीधे लाभ उठायेगा। तेजस्वी यादव को एकमात्र चेहरा घोषित करने से पिछड़े वर्ग और युवा मतदाताओं पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यात्रा के दौरान उठाए गए मुद्दे,
जैसे बेरोजगारी, किसान संकट और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, आगामी चुनाव का नैरेटिव बना सकते हैं।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में, तेजस्वी यादव ने बीच यात्रा में विधायक का टिकट काटने का संकेत देकर साहसिक और रणनीतिक निर्णय लिया है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वे अब पूरी तरह से पार्टी पर अधिकार चाहते हैं और जनता की इच्छा को भाँपकर निर्णय ले रहे हैं।
दूसरी ओर, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त यात्रा ने विपक्ष को बल दिया है, लेकिन सीएम के चेहरे को लेकर बनी अनिश्चितता महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
आने वाले समय में पता चलेगा कि “वोटर अधिकार यात्रा” सिर्फ एक राजनीतिक प्रदर्शन है या महागठबंधन को बिहार की सत्ता तक पहुंचाने वाली एक सुनहरी सीढ़ी है।
✍️ लेखक परिचय
मैं सनी महतो हूँ, एक युवा ब्लॉगर जो नियमित रूप से सरकारी योजनाओं (Sarkari Yojana), शिक्षा (Education), राजनीति (Politics) और ताजा खबरों (Trending News) पर लेख लिखता हूँ। मैं चाहता हूँ कि पाठकों को सरकारी नीतियों का लाभ उठाने और देश-दुनिया की खबरों को समझने में आसानी हो, इसलिए मैं सरल और सटीक भाषा में हर आवश्यक जानकारी देता हूँ।
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